The Bhagavad Gita Song is from Aarya web series streaming on Hotstar. This spiritual song has sung by VIRTI BAGHANI Siddharth Basrur Delraaz Bunshah Anurag panwar and composed by Vishal khurana while lyrics penned down by Swanand Kirkire .
THE BHAGAVAD GITA SONG
Song - The Bhagavad Gita Song
Singer - Siddharth Basrur, Delraaz Bunshah,
Anurag Panwar
Singer (rap) - Virti Baghani
Compose - Vishal khurana
Lyrics - Swanand Kirkire
Lyrics (rap) - Anu Singh Choudhary
Sanskrit
Language - Satish Tambe
Supervisor
Lyrics (rap) - Anu Singh Choudhary
Sanskrit
Language - Satish Tambe
Supervisor
Vocals record - Aslam Khan & Benvin Fernandez
@Headroom Studio
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The Bhagavad Gita
श्रीमद भगवद गीता
श्रीमद भगवद गीता
Lyrics in Hindi
(कमेंट्री)
प्रारंभ हुआ है युद्ध,
आरंभ हुआ है युद्ध,
युद्ध की, जिसने खड़ा किया मुझे,
मेरे अपनों के विरुद्ध,
मेरे परिवार के विरुद्ध,
मेरे रक्त के विरुद्ध।
प्रारंभ हुआ है युद्ध,
आरंभ हुआ है युद्ध,
युद्ध की, जिसने खड़ा किया मुझे,
मेरे अपनों के विरुद्ध,
मेरे परिवार के विरुद्ध,
मेरे रक्त के विरुद्ध।
हे कृष्ण!
कैसे बहाऊँ मैं अपना ये रक्त?
मैं दुविधा में हूँ अशक्त,
नाह्! ये युद्ध ना अब लड़ पाऊँगा मैं,
रखता हूँ धरा पे धनुष और बाण,
ये है मेरे युद्ध में पुर्णविराम।
कैसे बहाऊँ मैं अपना ये रक्त?
मैं दुविधा में हूँ अशक्त,
नाह्! ये युद्ध ना अब लड़ पाऊँगा मैं,
रखता हूँ धरा पे धनुष और बाण,
ये है मेरे युद्ध में पुर्णविराम।
श्रीमदभगवद् गीता में श्री कृष्ण की ओर से यह उत्तर आया :
(श्लोक)
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते॥
(२-१९)
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते॥
(२-१९)
(अनुवाद)
काया क्या है, केवल है माया
धरती चाहे जो ऐसी है छाया।
अग्नि, पाषाण, वायु, जल, वसुधा
बस पाँच तत्व का पिंजरा है काया।।
काया क्या है, केवल है माया
धरती चाहे जो ऐसी है छाया।
अग्नि, पाषाण, वायु, जल, वसुधा
बस पाँच तत्व का पिंजरा है काया।।
(श्लोक)
न जायते म्रियते वा कदाचिन्
नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥
(२-२०)
न जायते म्रियते वा कदाचिन्
नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥
(२-२०)
(अनुवाद)
इस पिंजरे में एक हंस है जकड़ा
जो अजर अमर है आत्मा कहलाया।
मृत्यु क्या है केवल है माया
उड़ गया रे हंसा अपने घर आया।।
इस पिंजरे में एक हंस है जकड़ा
जो अजर अमर है आत्मा कहलाया।
मृत्यु क्या है केवल है माया
उड़ गया रे हंसा अपने घर आया।।
(रैप)
तू मौत का गम क्यों करे?
प्रारब्ध से तू क्यों डरे?
ये आत्मा मेरी-तेरी,
ये जन्म और मृत्यु सभी,
क्या सूर्य और क्या ये जमीं,
समयचक्र से ही सभी चले,
तेरे वश में बस तेरा काम है,
बस कर्म पर अधिकार है,
कर्म में ही तेरी शान है,
कर्म तेरी पहचान है,
बस कर्म।
तू मौत का गम क्यों करे?
प्रारब्ध से तू क्यों डरे?
ये आत्मा मेरी-तेरी,
ये जन्म और मृत्यु सभी,
क्या सूर्य और क्या ये जमीं,
समयचक्र से ही सभी चले,
तेरे वश में बस तेरा काम है,
बस कर्म पर अधिकार है,
कर्म में ही तेरी शान है,
कर्म तेरी पहचान है,
बस कर्म।
चल छोड़ मन की कमजोरियाँ,
रिश्तों की मजबूरियाँ,
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
रिश्तों की मजबूरियाँ,
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
(श्लोक)
सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि॥
(२-३८)
सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि॥
(२-३८)
(अनुवाद)
मैं सही-गलत चुनने आया
जीवन का रण लड़ने आया।
सूरज की तरह हर अंधियारा
कर भस्म उन्हें जलने आया।।
मैं सही-गलत चुनने आया
जीवन का रण लड़ने आया।
सूरज की तरह हर अंधियारा
कर भस्म उन्हें जलने आया।।
(रैप)
चल छोड़ मन की कमजोरियाँ,
रिश्तों की मजबूरियाँ,
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
चल छोड़ मन की कमजोरियाँ,
रिश्तों की मजबूरियाँ,
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
जीवन संघर्ष से बचना ही क्या?
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